जानिए कैसे, जैसलमेर का ग्रेनाइट बढ़ाएगा सेंट्रल विस्टा की ख़ूबसूरती !

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दिल्ली में बन रहे सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट की खूबसूरती जैसलमेर का लखा ग्रेनाइट बढ़ाएगा !

इस प्रोजेक्ट में करीब 10 लाख स्क्वायर फीट लाल यानि लखा ग्रेनाइट लगाया जाएगा !

आपको बता दें कि पिछले दो महीने से इसकी सप्लाई शुरू हो चुकी है और अब तक 60 हजार क्यूबिक मीटर ग्रेनाइट दिल्ली सप्लाई भी हो चुका है !

जैसलमेर और बाड़मेर जिलों की सीमा पर पाए जाने वाले इस लाल ग्रेनाइट का उपयोग सेंट्रल विस्टा में फर्श, पैदल मार्ग और कॉलम के निर्माण में किया जाएगा !

जैसलमेर से 120 किलोमीटर दूर लखा गांव से देश का एकमात्र लाल ग्रेनाइट निकलता है वहीं दावा किया जाता है कि यह देश का सबसे महंगा ग्रेनाइट है जिसकी कीमत करीब 450 रुपए स्क्वायर फीट है !

हर महीने डेढ़ लाख स्क्वायर फीट स्टोन वहां सप्लाई होगा 4 महीने में 10 लाख स्क्वायर फीट ग्रेनाइट प्रोजेक्ट के लिए पहुंचाने का टारगेट रखा गया है !

इसके लिए पिछले दो महीने से सोर्सिंग भी चल रही है 2019 में इंडिया गेट के पास 40 एकड़ में बने नेशनल वार मेमोरियल में सबसे ज्यादा लखा ग्रेनाइट का उपयोग किया गया है !

युद्ध स्मारक को देश को समर्पित करते वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण मौजूद थी !

उस वक्त इस लाल पत्थर की खूबसूरती ने उन्हें प्रभावित किया था और लखा में ग्रेनाइट की माइंस चला रहे शोकत अली बताते हैं कि दिल्ली में बने युद्ध स्मारक में इसी लाल ग्रेनाइट का इस्तेमाल किया गया है !

ये लाल ग्रेनाइट अपनी अनूठी लाल छाया के लिए प्रतिष्ठित है इसकी एक चिकनी बनावट है और लाल रंग पर बहुरंगी माइक्रोपार्टिकल्स की तरंगें इस पत्थर को बहुत ही आकर्षक बनाती हैं इसकी खूबसूरती इसके रंग में हैं सिंदूरी और खून जैसा लाल रंग इसकी सबसे बड़ी पहचान है और इसी रंग की वजह से यह प्रसिद्ध है !

इसे लखा ग्रेनाइट इसलिए भी कहते हैं क्योंकि यह जैसलमेर से करीब 120 किलोमीटर दूर फतेहगढ़ तहसील के लखा गांव में निकलता है !

साथ ही ऐसा दावा किया जाता है कि ऐसे रंग का अनोखा ग्रेनाइट दुनिया में और कहीं नहीं मिलता है खदान मालिक मुकद्दर मेहर ने बताया कि नोटबंदी और जीएसटी का काफी कुछ असर लखा के खदान मालिकों पर भी पड़ा था और रही सही कसर कोरोना ने निकाल दी थी !

इस वजह से 65 में से सिर्फ 20 ही काम कर पा रही है। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट से इनकी डिमांड बढ़ गई है !

इसे कई देशों में भी निर्यात किया जाता है यहां 1990 में खनन की शुरूआत हुई थी खदान मालिक कमल सिंह ने बताया कि लाल रंग का ग्रेनाइट दुनिया में कहीं और उपलब्ध नहीं है !

भारत के अलावा अरब देश, तुर्किस्तान, चीन और इस्तांबुल समेत अन्य देशों में इसकी सबसे ज्यादा डिमांड है !

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