सचिन पायलट के सामने एक और चुनौती, क्या गहलोत से जीतेंगे पायलट !

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13 जिलों में कांग्रेस जिलाध्यक्ष की नियुक्ति होने के साथ ही टोंक जिले में भी जिलाध्यक्ष को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई है !

कांग्रेस जिलाध्यक्ष बनने के लिए कोई सीधे तौर पर तो कोई राजनीतिक गॉडफादर के जरिए अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट से संपर्क साध रहे हैं !

कोई वर्षों से कांग्रेस पार्टी की सेवा करने की बात करके तो कोई जातिगत समीकरण का हवाला देकर जिलाध्यक्ष बनने की जुगत में लगे हुए है !

जिले की कांग्रेस पार्टी दो गुटों के बीच बटी दिखाई दे रही है दोनों ही गुटों के नेता जिलाध्यक्ष बनने के लिए जयपुर से दिल्ली तक चक्कर लगा रहे है !

पूर्व डिप्टी सीएम टोंक विधायक सचिन पायलट और सीएम अशोक गहलोत के बीच जिस तरह से राजनीतिक मतभेद है उसको लेकर सचिन पायलट के लिए अपने विधानसभा क्षेत्र वाले जिले में पार्टी का जिलाध्यक्ष बनाना चुनौती से कम नहीं है !

उनके समर्थकों को भी यह चिंता सता रही है कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, सीएम गहलोत के खास माने जाते है !

ऐसे में डोटासरा, पायलट के कट्टर समर्थक के बजाए अन्य नेता को जिलाध्यक्ष बना दें तो पायलट को राजनीति के तौर पर नीचा देखना पड़ेगा !

प्रमुख रूप से जिला अध्यक्ष की दौड़ में पूर्व जिलाध्यक्ष लक्ष्मण गाता, पूर्व निवाई विधायक कमल लोदी और एडवोकेट महावीर तोगड़ा के नाम प्रमुखता से लिए जा रहे है !

कांग्रेस के पूर्व प्रदेश सचिव कुलदीप सिंह राजावत और सुनील बंसल का नाम भी संभावित कांग्रेस जिलाध्यक्ष के रूप में सामने आए हैं लेकिन इनमे से कुलदीप सिंह राजावत तो पायलट के बेहद करीबी सउद सईदी की तरह जिला अध्यक्ष से ज्यादा राज्य मंत्री दर्जा प्राप्त किसी बोर्ड के चेयरमैन समेत अन्य लाल बत्ती वाला बडा पद पाने के प्रयास में है !

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