जैसे ही वसुंधरा राजे का 46 विधायकों के साथ नई पार्टी बनाने की खबर मीडिया में फैली .केंद्रीय बीजेपी के हाथ-पैर फूल गए .बाकायदा वसुंधरा राजे को दिल्ली बुलाया गया . 2 दिन तक वसुंधरा राजे से बात की गई !
बीजेपी अध्यक्ष नड्डा के साथ भी लम्बी बातचीत हुई .इस दौरान सूत्रों के हवाले से खबर मिली कि नड्डा ने वसुंधरा राजे से 46 विधायकों के साथ नई पार्टी बनाने का सच जानने की कोशिश की .इस खबर की वजह से वसुंधरा खुद सकते में थी और वो जानना चाहती थी कि किसने उनके खिलाफ ये खबर छपवाई !
लेकिन वसुंधरा राजे ने अपने महारानी भरे अंदाज में कहा कि आप ही पता लगा लीजिए कि इस खबर का सच क्या है ?इसके बाद माना जा रहा है कि वसुंधरा राजे के साथ 46 विधायकों की नई पार्टी बनने का सच क्या है और अगर ये सच है तो क्या वसुंधरा राजे नई पार्टी बनाकर गहलोत सरकार को बचाना चाहती थी !
हालांकि इसको दूसरे नजरिए से देखे तो लगता है कि बीजेपी में भी कई गुट है और जिस तरीके से वसुंधरा राज्यसभा चुनाव में भी ज्यादा एक्टिव नहीं थी और अब भी ज्यादा एक्टिव नहीं है ऐसे में बीजेपी में कई नेता हैं जो उम्मीद लगाकर बैठे हैं कि अगर कांग्रेस की सरकार गिरी तो फिर वो मुख्यमंत्री बन सकते हैं और उनके लिए सबसे बड़ी समस्या वसुंधरा राजे हैं जिनके रहते हुए कोई प्रदेश में मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं हो सकता और इसी वजह से सचिन पायलट गुट को भी झटका लगा है क्योंकि वो गुट मानकर चल रहा था कि अगर सरकार गिरी तो फिर सचिन पायलट मुख्यमंत्री हो सकते हैं !
लेकिन वसुंधरा राजे के एक्टिव होने के बाद से उनके भी मनसुबों पर पानी फिरता दिखाई दे रहा है, उल्टा पायलट समर्थन 19 विधायकों के भविष्य पर भी सवाल खड़ा हो गया है ऐसे में हो सकता है कि सचिन पायलट को शुरु से अपनी सियासी जमीन को बनाना पड़े और उनके समर्थित विधायक वापस कांग्रेस में आ जाए .तो क्या वसुंधरा राजे के एक्टिव होने से सचिन पायलट की सियासत बर्बाद हो सकती है या कहें कि रणनीति बेकार होती जा रही है.
Yes