राजस्थान की सियासत में उथल-पुथल अभी जारी है ऐसे में अब चुनावी साल है और अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच की खींचतान अभी तक ख़त्म नहीं हुई है हालाँकि अक्टूबर 2022 में यदि अशोक गहलोत कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते तो शायद सचिन पायलट के हाथ में कुछ आ सकता था लेकिन ऐसा नहीं हुआ इससे पहले ही 25 सितंबर के सियासी घटनाक्रम का बवाल हो गया जिसके बाद भी पायलट गुट के लोगों में उम्मीद जगी थी कि अब आलाकमान सचिन पायलट को लेकर कोई फैसला लेगा !
लेकिन इस पर अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं हुआ 25 सितंबर को गुजरे लगभग साढ़े 4 महीने हो गए इस बीच कई बार ऐसे मौके आए जब लगा कि अब तो आलाकमान राजस्थान कांग्रेस की खींचतान पर बात करेगा लेकिन ये मसला ठंडे बस्ते में ही पड़ा रहा अब 10 फरवरी को सीएम गहलोत बजट पेश करने जा रहे हैं इसके बाद 24-26 फरवरी को छत्तीसगढ़ के रायपुर में कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन होना है कयास लगाए जा रहे हैं कि इसी अधिवेशन में पायलट को लेकर आलाकमान कोई फैसला ले सकता है !
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बता दें कि कांग्रेस का नया अध्यक्ष चुने जाने के बाद इस अधिवेशन में CWC और AICC के पदाधिकारी नियुक्त होंगे ऐसे में इन नियुक्तियों का बड़ा असर होगा !
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राजनीतिक जानकारों का मानना है कि सीएम पद को लेकर अब यदि पायलट इनकार करते हैं तो उन्हें राजस्थान सहित केन्द्र में महत्वपूर्व भूमिका मिल सकती है हालांकि इसे लेकर पायलट को राजी करना कांग्रेस के लिए काफी मुश्किल हो सकता है क्योंकि शायद अब 1 साल से भी कम समय के लिए पायलट सीएम नहीं बनना चाहेंगे इसके अलावा इस अधिवेशन में पीसीसी चीफ पर भी निर्णय हो सकता है राजस्थान में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में चुनावी साल में कांग्रेस आलाकमान असमंजस की स्थिति नहीं रखना चाहेगा क्योंकि यदि आलकमान इस पर कोई फैसला नहीं लेता है तो आगामी विधानसभा चुनाव में इसका प्रभाव कांग्रेस पर ही पड़ेगा !
साथ ही गहलोत-पायलट की गुटबाजी भी कांग्रेस पर भारी पड़ सकती है अब इस अधिवेशन में कांग्रेस आलाकमान पायलट पर क्या फैसला लेगा ये तो वक्त ही बताएगा !