सचिन के सियासी चक्रव्यूह में फंस गए गहलोत, जीत कर भी हार जाएंगे गहलोत

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राज्य में चल रही सियासी उठा – पठक के बीच एक अहम मोड आ चुका हैं । और शायद तक अब ये निर्णायक मोड पर आ चुकी हैं । राजस्थान की राजनीति में 31 दिन के बाद पूरी सियासत बदल चुकी है । सचिन पायलट गुट वापस गहलोत सरकार का हिस्सा बनने वाले हैं, पायलट गुट के भंवरलाल शर्मा जयपुर लौट चुके हैं, घर वापसी की मांग के साथ मुख्यमंत्री से मिल चुके हैं । बाकी विधायक भी जल्द ही जयपुर पहुचेंगे । लेकिन ऐसे में सवाल ये है कि क्या ये गहलोत की जीत और सचिन पायलट की हार है ?वर्तमान हाल में तो सही कह सकते हैं कि कि हां ऐसा हुआ है ।लेकिन सबसे जहन में सवाल यही है कि ये कैसे हुआ ?

आपको बता दें कि कल मुख्यमंत्री ने बयान दिया था कि अपमान सहना पड़ता है, दिल पर पत्थर रखना पड़ता है । इसका मतलब ये है कि जिस सचिन पायलट को गहलोत नाकारा, निकम्मा कह चुके हैं । उनको वापस राजस्थान कांग्रेस में मजबूती के साथ वापसी करानी होगी । गिले शिकवे मिटाने होंगे । ये शायद गहलोत को कल ही पता चल चुका था कि आलाकमान सचिन को जाने नहीं देना चाहता और वापसी के लिए हर मांग पर बात करने को तैयार है । आज जैसे ही राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मुलाकात हुई ।तो फिर मुमकिन है कि मांगों पर मंथर हुआ होगा ।हम आपको समझाते हैं कि क्या हो सकता है । पहली सुलह की राह तो ये हो सकती है कि राहुल-प्रियंका ने सचिन को कहा हो कि कुछ महीनों तक अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री रखा जाए और उसके बाद आपको मुख्यमंत्री बना दिया जाएगा । ये उसी वादे के पूरे होने की राह में वादा होगा जो माना जाता है कि चुनाव परिणाम के बाद सचिन पायलट से किया गया था कि ढाई साल गहलोत और ढाई साल सचिन मुख्यमंत्री होंगे ।इसके मुताबिक आने वाले 1 साल के बाद सचिन राजस्थान के मुख्यमंत्री हो सकते हैं । साथ ही सचिन पायलट गुट से 2 नेताओ के मुख्यमंत्री बना दिया जाए और सचिन पायलट को गृहमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी जाए ।

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