विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी राजस्थान के अगले सीएम हो सकते हैं। कांग्रेस का पहला मकसद इस वक्त राजस्थान में पार्टी और सरकार को बचाना है, गहलोत खेमा सरकार बचाने की भरसक कोशिशों में जुटा है, लेकिन 11 अगस्त की तारीख बहुत कुछ तय करेगी। ऐसे में पायलट खेमे के उस ऑफर पर विचार किया जा सकता है, जिसमें उन्होंने साफ कहा कि सीएम किसी तीसरे व्यक्ति को बना दिया जाए तो वे पार्टी में लौट सकते हैं, पार्टी से उनका कोई बैर नहीं है। सूत्रों के हवाले से खबर है कि इसी पर चर्चा करने के लिए कांग्रेस आलाकमान ने अजय माकन और रणदीप सुरजेवाला को जैसलमेर भेजा है।
मुख्यमंत्री ने विधायकों को लिखा भावुक पत्र
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने विधायकों को भावुक पत्र भी लिखा है, जिसमें अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनने, परिवारवालों और मतदाताओं की आवाज सुनने का हवाला देते हुए पार्टी के लिए एकजुट बने रहने का आह्वान किया गया है। साथ ही अशोक गहलोत की भाषा भी बदली हुई लग रही है। उन्होंने जैसलमेर में जो बयान दिए उनसे यही लग रहा है कि उन पर आलाकमान का दबाव है, वे कई बार कह चुके हैं कि आलाकमान पायलट गुट को माफ करेगा तो वे उन्हें गले लगा लेंगे। जैसलमेर में भी उन्होंने पायलट खेमे की चिंता जताई और कहा कि उन पर बाउंसर बैठाए गए हैं, वे लौटना चाहें तो उनका स्वागत किया जाएगा।
सीपी जोशी बन सकते हैं संकट मोचक
खैर अगर 11 अगस्त को कोर्ट का फैसला कांग्रेस के पक्ष में जाता है तो सीएम का चेहरा बदलने की नौबत क्षीण हो जाएगी, लेकिन अगर फैसला कांग्रेस के खिलाफ जाता है तो फिर ये तय मानिये कि कांग्रेस के रूठे हुए बागियों को ही पार्टी में वापस लाने के लिए कांग्रेस आलाकमान किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हो जाएगा। ऐसे में राजनीतिक प्रेक्षकों के हवाले से कहा गया है कि सीपी जोशी ही इस वक्त कांग्रेस के संकट मोचक बन सकते हैं। सीपी जोशी को किसी भी गुट का नहीं माना जाता, वे जितने गहलोत के करीबी हैं उतने ही सचिन पायलट के भी माने जाते हैं और सीएम के तौर पर अगर उन्हें पेश किया जाता है तो किसी भी गुट को कोई आपत्ति नहीं होगी।
सीपी जोशी थे सीएम की रेस में
ऐसा नहीं है कि सीपी जोशी सीएम पद की रेस में नहीं रहे। 2008 में वे राजस्थान में सीएम के तौर पर कांग्रेस आलाकमान की पहली पसंद थे। वे कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी थे और शिक्षा जगत से राजनीति में आए थे। बेदाग छवि और सबको साध कर चलने के हुनर के कारण उन्हें सीएम प्रोजेक्ट किया जाना तय हो गया था। लेकिन उसी साल हुए चुनाव में वे एक वोट हार गए और उनके हाथ से सीएम की कुर्सी छिटक गई। हालांकि बाद में हुए उपचुनाव में वे भारी मतों से जीते और विधानसभा पहुंचे। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
2008 में थे आलाकमान की पहली पसंद
सीपी जोशी मौजूदा विधानसभा स्पीकर हैं और पार्टी के लिए वफादारी का उन्हें यह ईनाम भी मिला है कि उन्हें विधानसभा अध्यक्ष के लिए नामित किया गया। जबकि 2008 से ही वे अशोक गहलोत के कड़े प्रतिद्वंद्वी थे और उनमें सीएम बनने की महत्वकांक्षा भी थी। लेकिन जब वे सीएम नहीं बन पाए तो उन्होंने कभी भी अपनी महत्वकांक्षा को पार्टी के खिलाफ नहीं जाने दिया। न ही उन्होंने कभी कोई गुट बनाया और न ही पार्टी लाइन से अलग जाकर बगावत का कोई संकेत दिया। यही वजह है कि पार्टी में उनका कद बढ़ता गया। आज प्रदेश कांग्रेस में उनके जैसा सर्वमान्य नेता दूसरा कोई दूर-दूर तक नजर नहीं आता।