यूं ही नहीं कोई धोनी बन जाता, गोलकीपर से विकेटकीपर तक का सफर

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भारतीय टीम (Team India) के सबसे सफलतम कप्‍तान के तौर पर पहचाने जाने वाले महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) सात जुलाई को 39 साल के (Happy Birthday MS Dhoni) हो रहे हैं. रांची जैसे छोटे शहर से निकलकर धोनी ने उन बुलंदियों को छुआ जिसके बारे में सोचना भी कल्‍पना जैसा लगता है. भारतीय रेलवे में टिकट कलेक्‍टर की सरकारी नौकरी मिलने के बावजूद धोनी इससे संतुष्‍ट नहीं हुए. नौकरी छोड़ने पर उन्‍हें पिता की डांट भी खानी पड़ी, लेकिन उनकी किस्‍मत में कुछ इससे भी बड़ा लिखा था.

बनना था गोलकीपर बन गए विकेटकीपर


महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) की दिलचस्‍पी शुरू से ही कभी क्रिकेट में नहीं रही थी. वो स्‍कूल स्‍तर पर अपनी टीम के गोलकीपर थे और इसी क्षेत्र में आगे भी बढ़ना चाहते थे. फिर अचानक एक संजोग बैठा, जिसके चलते उन्‍हें गोलकीपर से विकेटकीपर बना दिया गया. दरअसल, धोनी जब छठी क्‍लास में थे तब स्‍कूल की क्रिकेट टीम को अचानक विकेटकीपर की जरूरत आ पड़ी थी. क्रिकेट कोच ने उन्‍हें गोलकीपिंग करते देखा तो वो धोनी से काफी प्रभावित हुए.
विकेटकीपिंग कराने के लिए कोच को धोनी के सामने काफी मिन्‍नते भी करनी पड़ी क्‍योंकि माही को इस क्षेत्र में ज्‍यादा दिलचस्‍पी नहीं थी. अंत में उन्‍होंने विकेट के पीछे की जिम्‍मेदारी संभाली. बल्‍लेबाजी के दौरान उन्‍होंने ऐसा कमाल कर दिखाया कि पूरा स्‍कूल उनके खेल को देखने के लिए छुट्टी के बाद इकट्ठा हो गया. बस यहीं से उनके क्रिकेट का सफर शुरू हो गया.

खड़गपुर स्‍टेशन पर की टिकट कलेक्‍टर की नौकरी

महज 18 साल की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते ही धोनी अपने शहर में काफी फेमस हो चुके थे. बेहद कम उम्र में ही उन्‍हें बिहार की तरफ से रणजी खेलना का मौका भी मिल गया. फिर वो रेलवे की तरफ से भी खेले. रेलवे ने शानदार खेल को देखते हुए ही महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) को नौकरी ऑफर की. निम्‍न मध्‍यम वर्गीय परिवार के लड़के को कम उम्र में सरकारी नौकरी मिलना परिवार के लिए एक बड़े सपने का पूरा होने जैसा था. घर में खुशी की लहर थी.

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