पश्चिम बंगाल : महातूफान अम्फान की वजह से अबतक पश्चिम बंगाल में दो लोगों की मौत हो चुकी है और 5227 मकानों को नुकसान पहुंचा है। हावड़ा में पेड़ गिरने से 13 साल की बच्ची की मौत हुई है, वहीं उत्तर 24 परगना में एक महिला की मौत हुई है। अम्फान से ओडिशा में भारी तबाही हुई है।
अधिकारियों ने बताया कि बुधवार को पश्चिम बंगाल तट की ओर बढ़ रहे चक्रवात के दौरान तेज हवाओं के साथ-साथ भारी बारिश हुई। इससे बड़ी संख्या में पेड़ उखड़ गए वहीं कई कच्चे मकान भी ढह गए।
एक मौसम वैज्ञानिक ने बताया कि तूफान के केंद्र के आस-पास हवाओं की गति लगातार 170 से 180 किलोमीटर प्रति घंटा बनी रही, जिनकी रफ्तार बीच-बीच में 200 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच गयी। चक्रवात जब बाद में कोलकाता पहुंचेगा तो 110 से 120 किलोमीटर घंटे की रफ्तार से हवाएं चलने की संभावना है। इसके बाद यह और कमजोर होकर पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद और नदिया पहुंचेगा। इसके बाद यह बंगलादेश में गहरे दबाव के रूप में पहुंचेगा।
हालांकि एनडीआरएफ ने दोनों राज्यों में राहत एवं बचाव कार्यों के लिए 41 टीमों को तैनात किया है। हर टीम में 41 सदस्य हैं। इसके अलावा पुलिस और अग्निशमन बल को भी तैनात किया गया है।
मौसम विज्ञान विभाग ने कोलकाता और निकटवर्ती इलाकों में सभी संस्थान एवं बाजार बंद करने और लोगों के आवागमन पर प्रतिबंध लगाने की सलाह दी है। कोलकाता में सुबह से तेज हवाओं के साथ मामूली बारिश हो रही है। चक्रवात के मद्देनजर अधिकतर लोग घरों में हैं, इसलिए सड़कों पर यातायात बेहद कम नजर आया। मौसम वैज्ञानिकों ने सचेत किया है कि कई स्थानों पर रेल एवं सड़क मार्ग बाधित हो सकते हैं, बिजली एवं संचार के खंभे उखड़ सकते हैं और सभी प्रकार के ‘कच्चे’ घरों को भारी नुकसान होगा। मौसम विभाग ने तैयार फसलों एवं बाग-बगीचों को भारी नुकसान होने की आशंका जताई है।
राज्य सरकार ने अभी तक चार लाख लोगों को सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचा दिया है। मौसम विभाग की ओर से बताया गया है कि 4 से 5 घंटे तक चक्रवात का असर क्षेत्रों में रहेगा। यानी सैकड़ों किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलती रहेंगी और बारिश भी होती रहेगी। स्थानीय सूत्रों ने बताया है कि दक्षिण 24 परगना और पूर्व मेदिनीपुर के विस्तृत इलाके में बिजली गुल है तथा संचार के संसाधन ठप हो गए हैं। कई जगहों पर बिजली के खंभे टूटे हैं तथा टेलीफोन आदि के तार भी टूट कर गिर गए हैं। इसकी वजह से संचार व्यवस्था ठप हुई है। राहत और बचाव कार्य में जुटी आपदा प्रबंधन की टीम रेडियो संचार के जरिए एक दूसरे से समन्वय बनाकर काम कर रही है।