सचिन पायलट के लिए कांग्रेस छोड़ देंगे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ?

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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बडे जिद्दी बताए जाते हैं हालांकि उन्हें अपने आप को प्रदेश का गांधी कहलवाना बहुत अच्छा लगता है लेकिन शायद जब हकीकत में गांधी बनने का मौका मिलता है तब वे बन नहीं पाते है जिस तरह से महात्मा गांधी त्याग और बलिदान की सोच लेकर चलते थे उस तरह से अशोक गहलोत शायद आज तक नहीं सोच पाए हैं !

इतना ही नहीं जब जब पार्टी ने उनसे हटकर कुछ करने की सोचा तो उन्होंने पार्टी नेतृत्व को आंख दिखाने का काम भी किया फिर वो चाहे 1989 की बात हो या 2022 दोनों समय में किसी और का सहारा लेकर गहलोत ने पार्टी को आंख दिखाई है सिंतबर 2022 में जब राजस्थान में मुख्यमंत्री बदलने की बात आई तो गहलोत ने खुद सीधे शामिल हुए बिना विधायकों से इस्तीफे दिलाए और आलाकमान द्वारा प्रस्तावित विधायक दल की बैठक नहीं होने दी !

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अब इसके बाद अशोक गहलोत के बारे में तरह तरह की बातें होने लगी है कहा जाने लगा है कि अगर अब सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव आता है तो इसका विरोध फिर से मुख्यमंत्री गहलोत कर सकते हैं इतना ही नहीं सचिन पायलट मुख्यमंत्री बनते हैं तो अशोक गहलोत इस्तीफा तक देने की बात आलाकमान को कह सकते हैं अशोक गहलोत सचिन पायलट के विरोध के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं और इस बात का उदाहरण उनके करीबी मंत्री शांति धारीवाल द्वारा पार्टी के खिलाफ लिए गए एक्शन से पता लगाया जा सकता है ऐसे में आलाकमान को अशोक गहलोत से निपटने की हरसंभव तैयारी कर लेनी चाहिए !

हालांकि यह बात भी साफ है कि राजस्थान में सरकार किसी जादूगरी से नहीं बल्कि सचिन पायलट के चेहरे पर बनी है क्योंकि अगर जादूगरी से सरकार बनती तो सरकार बनने के तुरंत बाद हुए लोकसभा चुनाव में खुद के गृह जिले जोधपुर से लोकसभा चुनाव लडे वैभव गहलोत चुनाव नहीं हारते बहरहाल इन सभी पहलुओं पर कांग्रेस को जल्द विचार कर कोई न कोई फैसला लेना होगा नहीं तो राजस्थान में हालात बद से बदतर होने में समय नहीं लगेगा !

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