राजस्थान में होगा मंत्रीमंडल विस्तार और गिर जाएगी गहलोत सरकार ?
1 min readमंत्रीमंडल का विस्तार करना वैसे तो मुख्यमंत्री का विशेष अधिकार है लेकिन वर्तमान स्थिति में मंत्रीमंडर विस्तार हुआ तो फिर सरकार को खतरा दिखाई दे रहा है और नहीं हुआ तो फिर खतरा दिखाई दे रहा है !
अब जरा आंकड़ों के जरिए समझिए कैसे गहलोत के सामने 35 से ज्यादा नेता खड़े हैं जो मंत्री बनना चाहते हैं और इसी बात से गहलोत परेशान हैं !
सबसे पहले बात निर्दलीयों की 13 विधायकों में से संयम लोढ़ा, बाबूलाल नागर, राकेश मीणा, राजकुमार गौड़ खुशवीर सिंह जोजावर, महादेव सिंह खंडेला और रमिला खड़िया खुद को मंत्री पद की कतार में मान रहे हैं !
वहीं बसपा से कांग्रेस में आए राजेंद्र गुढ़ा, दीपचंद खेरिया, जोगिंदर अवाना और लाखन मीणा खुद को मंत्री पद की दौड़ में जान रहे हैं !
यानि कुल 19 में से 11 विधायक ऐसे हैं जो मंत्री बनने का सपना देख रहे हैं और इसीलिए मुख्यमंत्री के प्रति अपनी भक्ति को दर्शाते रहते हैं !
वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ विधायकों की संख्या भी 2 दर्जन से ज्यादा हैं जो मंत्री बनना चाहते हैं इनमें कई विधायक ऐसे हैं जो पहले मत्री रह चुके हैं !
वहीं आलाकमान की इच्छा के मुताबिक मंत्रीमंडल विस्तार हुआ तो फिर सचिन पायलट खेमे के भी कम से कम 4 मंत्री बनाने पड़ेंगे इस स्थिति में गहलोत के मंत्रीमंडल में सिर्फ 5 मंत्रीपद बचेंगे !
अब इन 5 पदों में 2 दर्जन कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक, 6 बसपा से कांग्रेस में आए विधायक और 13 निर्दलीय विधायकों को साधना नामुमकिन है और यही वजह है कि अशोक गहलोत मंत्रीमंडल विस्तार करने से बच रहे हैं क्योंकि वो जानते हैं कि अगर मंत्रीमंडल विस्तार हुआ तो फिर सरकार अल्पमत में आ सकती है !
नाराज विधायकों का गुट बन सकता है बीजेपी भी इसी वक्त का इंतजार कर रही है और इसीलिए बीजेपी के नेता भी कई बार कह चुके हैं कि मंत्रीमंडल का विस्तार करने के बाद कांग्रेस में गुटबाजी बढ़ जाएगी गहलोत सरकार ज्यादा दिन नहीं चल पाएगी !
लेकिन सच्चाई ये भी है कि मंत्रीमंडल विस्तार जितना देरी से होगा विधायकों में उतना ही असंतोष बढ़ेगा और नेता अपना पाला बदलने से भी नहीं चूकेंगे क्योंकि 2023 जिनती नजदीक आती जाएगी गहलोत गुट के विधायकों का सचिन की तरफ झुकाव उतना ही बढ़ता जाएगा !