वेदप्रकाश सोलंकी के मंत्री बनने को लेकर बड़ा खुलासा !
1 min readक्या वेद प्रकाश सोलंकी आगामी मंत्रीमंडल विस्तार में मंत्री बनेंगे गहलोत मंत्रीमंडल का हिस्सा होंगे हम आपको समझाते हैं कि वो कौन कौन से फेक्टर हैं जिनकी वजह से वेद प्रकाश सोलंकी मंत्री बन सकते हैं !
सबसे बड़ा फेक्टर तो यही है कि वेद प्रकाश सोलंकी आज सचिन के साथ उस भूमिका में नजर आते हैं जिसमें कुछ वक्त पहले तक विश्वेंद्र सिंह नजर आते थे यानि सचिन के समर्थन में खुलकर बयानबाजी करना वो भी तीखे शब्दबाणों के साथ वो ना तो गहलोत सरकार को छोड़ते हैं ना निर्दलीयों पर हमला करने से चूकते हैं वहीं सचिन के प्रति उनकी निष्ठा ही उनके मंत्रीमंडल में शामिल होने का सबसे बड़ा फेक्टर है !
वहीं दूसरा फैक्टर है वर्तमान में दलित नेता के तौर पर उभरना हाल ही में बाबूलाल नागर पर जो हमला वेद प्रकाश सोलंकी की तरफ से किया गया था वो भी इसी से जुड़ा है वर्तमान में जो दलित नेता खुलकर बोल रहा है वो वेद प्रकाश सोलंकी है और वो गहलोत पर sc-st की अनदेखी का आरोप भी लगा चुके हैं ऐसे में अगर उनको मंत्रीमंडल में जगह नहीं दी गई तो इसे SC-ST वोटबैंक से जोड़ कर देंखेंगे जिसे कांग्रेस का कोर वोटबैंक कहा जाता है और इसका नुकसान कांग्रेस नहीं झेल पाएगी !
अब बात तीसरे फैक्टर की करते हैं तीसरा फैक्टर है 2018 से पहले वेद प्रकाश सोलंकी अशोक गहलोत को अपना आका मानते थे सोलंकी की शुरुआत जयपुर शहर NSUI अध्यक्ष के तौर पर हुई है माना जाता है कि गहलोत ने ही सोलंकी का राजनीति करिअर आगे बढ़ाया !
लेकिन 2018 में वेद प्रकाश सचिन गुट में शामिल हो गए और जीत तक विधायक भी बने उनके टिकट में सचिन की बड़ी भूमिका रही जबकि 2013 के चुनाव में उनका टिकट काट दिया गया था और 2008 में वो चुनाव जीत नहीं पाए थे !
वहीं अब गहलोत उन्हे मंत्रीमंडल में शामिल कर फिर से अपने गुट में शामिल कर सकते हैं अब बात करते हैं कि वेद प्रकाश सोलंकी के मंत्री बनने के बीच में रोड़े क्या हैं पहला रोड़ा है उनका पहली बार विधायक बनना आलाकमान का ही फैसला था कि पहली बार के जीते विधायक को मंत्रीपद नहीं दिया जाए वेद प्रकाश इस वजह से पिछड़ सकते हैं !
वहीं दूसरा रोड़ा है वेद प्रकाश का हद से ज्यादा हमलावर होना और तीखे बयान देना जबकि आलाकमान कह चुका है कि किसी को बयानबाजी नहीं करनी है और तीसरा रोड़ा होगा बाबूलाल नागर है !
क्योंकि वेद प्रकाश सोलंकी और बाबूलाल नागर लगभग एक ही इलाके से आते हैं दोनों की ही राजनीति को गहलोत ने शुरु किया लेकिन नागर की निष्ठा कभी गहलोत से दूर नहीं हुई और वेद प्रकाश ने पाला बदल लिया दोनों एक ही जाति से आते हैं और दलित वोट बैंक पर पकड़ जमाना जाते हैं !
ऐसे में गहलोत नागर को मंत्री बना वेद प्रकाश की राजनीति पर विराम लगाने की रणनीति भी बना सकते हैं अब वेद प्रकाश मंत्री बनेंगे या नहीं ये फैसला मुख्यमंत्री को करना है।