राजस्थान की राजनीति में पहली बार ऐसा हुआ कि पूर्व मुख्यमंत्री राजे के बारे में ये कहा गया कि वो गहलोत सरकार को जरूरत पड़ने पर समर्थन दे सकती हैं …अफवाहें यहां तक उड़ी कि वो 46 विधायकों के साथ कांग्रेस ज्वाइन कर सकती हैं …हालांकि वसुंधरा राजे ने इन आरापों से इंकार भी किया और केंद्रीय बीजेपी नेतृत्व के सामने अपना पक्ष रखते हुए नाराजगी भी जताई ….लेकिन अंदरखाने ये भी कहा जाता है कि जब विधायकों को गुजरात भेजा जा रहा था उस वक्त बीजेपी के 30 विधायकों ने बीजेपी से सम्पर्क तोड़ लिया था और वो कहां थे कोई नहीं जानता था, कहा जा रहा था कि ये विधायक वसुंधरा राजे समर्थक थे, जो उनके कहने पर ही गायब हुए थे ….ऐसा नहीं है कि वसुंधरा राजे का ऐसा मिजाज पहली बार देखने को मिला है या फिर केंद्रीय नेतृत्व और प्रदेश बीजेपी के खिलाफ वसुंधरा राजे गए हैं और खुद को साबित किया है ….आपको याद होगा कि 2014 लोकसभा चुनाव के बाद भी वसुंधरा राजे मोदी मंत्रीमंडल में अपने नेताओं को शामिल कराने के लिए सभी 25 विधायकों को दिल्ली लेकर गई थी …इसके अलावा एक वक्त पर वो राजस्थान बीजेपी विधायकों को भी अपने साथ दिखाकर बीजेपी को आइना दिखा चुकी हैं …जिसके बाद कहा जाने लगा कि राजस्थान में बीजेपी ही वसुंधरा है और वसुंधरा ही बीजेपी …..कुछ ऐसा ही अब फिर से दिखाई दिया …..जब सचिन पायलट गुट मानेसर में था और सरकार अस्थिर दिखाई दे रही हैं, वसुंधरा दिल्ली गई और उसके बाद सबकुछ ठीक हो गया …..लेकिन अब विधानसभा शुरु होने से पहले क्या फिर से वसुंधरा मास्टरस्ट्रोक चलने की तैयारी कर चुकी हैं ….और क्या जो काम प्रदेश बीजेपी नहीं कर पाई, वो वसुंधरा राजे को सौंपा गया है ….सवाल इसलिए कि अभी तक प्रदेश बीजेपी बोल रही थी कि वो विश्वास मत की मांग नहीं करेगी लेकिन आज ना सिर्फ विश्वास मत की मांग की जाती है बल्कि सभी से हस्ताक्षर भी कराए जाते हैं ….और ये तब होता है जब मीटिंग में वसुंधरा राजे होती हैं, इसके बाद वसुंधरा राजे राज्यपाल कलराज मिश्र से मिलने उनके निवास पर पहुंचती हैं और मुलाकात होती है ……हालांकि इस मुलाकात को शिष्टाचार भेट कहा गया ….लेकिन वसुंधरा का एक्टिव होना …कहीं गहलोत सरकार के लिए खतरे की घंटी तो नहीं, ये कल विधानसभा में पता चल जाएगा ………