राजस्थान कांग्रेस में अब ऐसा लगता है कि कुछ दिनों के लिए संकट के बादल छट चुके हैं जो गतिरोध सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच बना हुआ था वह कम से कम बाहरी तौर पर दूर होता दिखाई दे रहा है कल रात को केसी वेणुगोपाल जयपुर आए, माना जा रहा था कि रात को ही सचिन पायलट और अशोक गहलोत की मीटिंग होगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ फिर खबर सामने आई कि सुबह 10:00 बजे मुख्यमंत्री आवास पर बैठक होगी लेकिन यह बैठक भी टल गई इसके बाद खबर आई सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच मुलाकात होगी लेकिन उस पर भी कोई स्पष्ट जवाब कांग्रेस की तरफ से नहीं मिला ऐसा लगा मानो आलाकमान के फैसले को मानने के लिए गहलोत तैयार नहीं है और वह खुले तौर पर आलाकमान को चुनौती दे रहे हैं लेकिन इसके बाद यह तय हुआ कि शाम 4:00 बजे विधानसभा में कांग्रेस विधायकों की बैठक होगी, जिसमें सचिन पायलट गुट के 18 विधायकों भी शामिल होंगे इसका मतलब यह है कि अशोक गहलोत ने आलाकमान की बातों को और मांगों को मान लिया है और जैसे ही विधानसभा सत्र में विश्वास मत हासिल होगा उसके बाद सरकार 6 महीने के लिए फिर हो जाएगी और आगामी मंत्रिमंडल के अंदर सचिन पायलट गुट की भागीदारी भी सुनिश्चित हो जाएगी तो क्या इसको अशोक गहलोत की राजनीतिक तौर पर हार मानी या फिर यह मानें कि अशोक गहलोत ने कम से कम 6 महीने के लिए अपनी सरकार को स्थिर कर दिया है अगर गहलोत मंत्रिमंडल में सचिन पायलट गुट को तवज्जो मिलती है तो फिर मान कर चलिए बसपा, निर्दलीय और अन्य विधायकों को जो कांग्रेस और अशोक गहलोत को अभी तक समर्थन दे रहे थे वहां से असंतोष के स्वर तेजी से सुनाई देंगे लेकिन यह भी तय माना जा रहा है कि सचिन पायलट झुकने को तैयार नहीं है और अशोक गहलोत को ही झुकना पड़ रहा है फिर चाहे आलाकमान के फैसले को मानने की बात हो, सचिन पायलट गुट से सुलह की बात हो या फिर आगामी दिनों में मंत्रिमंडल में सचिन पायलट गुट को शामिल करने की बात हो, तो क्या सचिन पायलट जो चाहते थे वह हो रहा है और उनका कद बढ़ रहा है