जयपुर. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया बयान को लेकर उनकी आलोचना करते हुए सोमवार को कहा कि मोदी को अपने बयान से चीन के षड्यंत्रकारी रुख को ताकत नहीं देनी चाहिए तथा सरकार के सभी अंगों को मिलकर मौजूदा चुनौती का सामना करना चाहिए।
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने चीन के साथ जारी तनाव पर एक बयान जारी कर कहा, ‘हम सरकार से आगाह करेंगे कि भ्रामक प्रचार कभी भी कूटनीति और मजबूत नेतृत्व का विकल्प नहीं हो सकता.’ उन्होंने कहा, ‘आज हम इतिहास के नाजुक मोड़ पर खड़े हैं. हमारी सरकार के निर्णय और सरकार के कदम तय करेंगे कि भविष्य की पीढ़ियां हमारा आकलन कैसे करें. जो देश का नेतृत्व कर रहे हैं, उनके कंधों पर कर्तव्य का गहन दातित्व है. हमारे प्रजातंत्र में यह दायित्व प्रधानमंत्री का है.
‘पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, ‘चीन ने अप्रैल से लेकर आजतक गलवान घाटी और पैंगॉन्ग त्सो लेक में कई बार घुसपैठ की है. भारत के क्षेत्रों पर जबरन दावा पेश किया है. ऐसे में प्रधानमंत्री को अपने शब्दों और ऐलानों द्वारा देश की सुरक्षा व समारिक, भूभागीय हितों पर पड़ने वाले प्रभाव के प्रति सदैव बेहद सावधान होना चाहिए.’
मनमोहन सिंह ने कहा, ‘हम न तो चीन की धमकियों और दबाव के सामने झुकेंगे. न ही अपनी भूभागीय अखंडता से कोई समझौता स्वीकार करेंगे. प्रधानमंत्री को अपने बयान से उनके साजिशकारी रवैये को बल नहीं देना चाहिए.’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि सरकार के सभी अंग इस खतरे का सामना करने के लिए एकजुट हैं. हमें हालात को और ज्यादा गंभीर होने से रोकने के लिए परस्पर सहमति से काम करना होगा.’.
बता दें कि भारत-चीन सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद से ही चीन लगातार शांति और बातचीत के जरिए मुद्दे को सुलझाने की बात कहता रहा है. हालांकि तिब्बत बॉर्डर पर लगातार चीनी सेना युद्ध की तैयारियों में व्यस्त है और चीन की सरकारी मीडिया भारत को लगातार धमकाने का काम कर रही है. इस बार फिर चीन ने चेतावनी देते हुए कहा है कि दोनों देशों के बीच तनाव का असर अगर व्यापारिक रिश्तों पर पड़ा तो ये भारत के लिए घातक साबित हो सकता है. चीन ने भारतीयों को ‘राष्ट्रवाद’ के चक्कर में बेफकूफ न बनने की सलाह भी दे डाली है.