राजस्थान की सियासत में एक नया मोड़ आ गया हैं । जैसे – जैसे राजस्थान की सियासत दिन प्रतिदिन खीचती चली जा रही हैं वैसे ही हर रोज राज्य की राजनीति में नया मोड़ आता जा रहा हैं ।
राज्य की राजनीति में आए जिस मोड की बात की जा रही हैं वो हैं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की राजनीति से सन्यास लेने की बात ।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पूरे सियासी संग्राम के दौरान सचिन पायलट पर बीजेपी के साथ मिलकर सरकार गिराने सहित राजद्रोह जैसे संगीन आरोप तक लगाए थे । मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा था कि अगर सचिन पायलट पर लगाए गए आरोप गलत साबित होते हैं तो वे ना सिर्फ मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देंगे बल्कि राजनीति से भी सन्यास ले लेंगे ।
हाल ही में सचिन पायलट पर लगाए गए राजद्रोह के आरोप को हटाने का निर्णय लिया गया हैं । तो सवाल ये उठता हैं कि क्या मुख्यमंत्री गहलोत अपने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे और अपने वादे पर कायम रहेंगे ?
क्या कारण हैं कि राजद्रोह का आरोप वापस लिया गया ?
शुरूआती दिनों में मुख्यमंत्री गहलोत ने बडे धूमधाम से घोषणा कि थी कि अगर पायलट पर लगे आरोप गलत साबित होते हैं तो वे इस्तीफा दे देंगे । लेकिन अब परिस्थितियां अचानक से उलट गई तथा गहलोत खुद अपने बिछाये हुए जाल में फंसते हुए नजर आ रहे हैं । क्योंकि पायलट खेमे के विधायक भंवर लाल शर्मा ने उच्च न्यायालय में कहा कि इस पूरे मामले की जांच एन.आई.ए. से कराई जानी चाहिए ।
और शायद मुख्यमंत्री गहलोत को अब जाकर इस तथ्य का ख्याल आया होगा कि राजद्रोह के मामले में जांच पडताल का काम एन.आई. ए. का हैं ।