मुख्यमंत्री आवास पर विधायक दल की बैठक हुई । बैठक से पहले सचिन पायलट, के.सी. वेणुगोपाल, रणदीप सुरजेवाला, अविनाश पांडे, गोविंद डोटासरा और अजय माकन की बैठक हुई । इस बैठक का वीडियो भी मीडिया से सांझा किया गया ।लेकिन वीडियो सिर्फ उतना ही सांझा किया गया, जितना कांग्रेस को लगा कि सांझा करना ठीक है । लेकिन इस वीडियो में भी सबकुछ ठीक नहीं नहीं आया । इस वीडियो में अशोक गहलोत और सचिन पायलट हाथ मिलाते, एक दूसरे को थपथपाते भी दिखाई दिए लेकिन जैसे ही वीडियो बना, सचिन के चेहरे की मुस्कान गायब हो गई । मतलब जो किया गया वो सिर्फ कैमरे के लिए किया गया, ताकि ये बताया जा सके कि कुछ भी ठीक नहीं होते हुए भी लगे कि सबकुछ ठीक है । इस वीडियो ने एक और संदेश साफ दिया कि अब राजस्थान में कांग्रेस की राजनीति में प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे की भूमिका लगातार गिरी है और के.सी. वेणुगोपाल की सक्रीयता बढ़ी है । इस वीडियो में भी के.सी. वेणुगोपाल इशारा करते हुए दिखाई दिए जिसका मतलब था well done , अब आते हैं
दूसरे वीडियो पर जिसमें जैसे ही सचिन पायलट मुख्यमत्री आवास पहुंचते हैं, उनको रिसीव करने प्रदेशाध्यक्ष गोविंद डोटासरा आते हैं, लेकिन सचिन उनकी तरफ देखते हैं, हाथ मिलाते हैं और आगे बढ़ जाते हैं, मतलब सचिन इस बात से शायद खुश नहीं हैं कि गोविंद डोटासरा को प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया । अब आते हैं अंतिम वीडियो पर
इस वीडियो में दिखाई दे रहा है कि सचिन पायलट मुख्यमंत्री के साथ विधायक दल की बैठक में सबसे आगे बैठे हैं और गोविंद डोटासरा फ्रैम से बाहर हैं । इसका मतलब ये है कि शायद गहलोत ये संदेश देना चाहते हैं कि सचिन से पद छीने गए हैं, कद नहीं या फिर कहें कि सचिन ने दिखा दिया है कि उनका रुतबा कांग्रेस में पद की वजह से नहीं है , बल्कि बिना पद के भी उनका कद इतना बड़ा है कि वो सिर्फ विधायक होने के बाद भी मुख्यमंत्री के बगल में बैठते हैं ।
लेकिन क्यों हम बोल रहे हैं कि सबकुछ ठीक नहीं है । ये तस्वीर उस वक्त सामने आई , जब सभी ने हाथ उठा कर मीडिया की तरफ विक्ट्री का साइन दिखाया । लेकिन सचिन पायलट ने ऐसा नहीं किया और फिर मुख्यमंत्री के कहने पर विक्ट्री का साइन दिखाया और कुछ ही पलों में हाथ नीचे कर लिया ,जबकि मुख्यमंत्री और अन्य नेताओं के हाथ अभी भी विक्ट्री का साइन दिखा रहे हैं
ये तस्वीरें बताती हैं कि इस पूरे घटनाक्रम में गहलोत को लगातार सचिन के सामने समझौते के तहत झुकना पड़ रहा है और मुमकिन है कि कल विधायक होने के बाद भी सचिन पायलट विधानसभा में प्रथम पंक्ति में बैठे दिखाई दे जबकि विधानसभा नियम के मुताबिक अब उनको पहली बार विधायक बनने की वजह से सबसे पीछे की पंक्ति में बैठना चाहिए । अगर कल भी वो प्रथम पंक्ति में दिखाई दे तो समझ जाईयेगा कि सचिन पायलट का पद छीना गया है, कद नहीं और मुख्यमंत्री को साफ साफ आलाकमान की तरफ से बोल दिया गया है कि सचिन के स्वाभिमान और सम्मान के साथ कोई समझौता नहीं होगा और आज भी सचिन उसी भूमिका में हैं जिसमें पहले थे ।लेकिन ये सच है कि कांग्रेस में सबकुछ ठीक नहीं है ।