अशोक गहलोत के राजनीतिक कौशल को देखकर कहा जा सकता है कि कांग्रेस का एक बड़ा रणनीतिकार छोटी लड़ाई में फस गया अगर कांग्रेस में कोई नरेंद्र मोदी या अमित शाह जैसी या उससे भी आगे की सोच रखता है तो वह व्यक्ति है राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जिस व्यक्ति को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष होना चाहिए था वह मुख्यमंत्री के पद के लिए लड़ रहा है यकीन मानिए अगर गांधी परिवार अपनी सत्ता पर संकट समझने की गलतफहमी दूर कर अशोक गहलोत को कांग्रेस की समान सौंप दें तो हिंदुस्तान में कांग्रेस एक बार फिर अपने पैरों पर खड़ी हो जाएगी दरअसल अशोक गहलोत बीजेपी को दिए दर्द की कराह सुनना चाहते थे
अशोक गहलोत ने विश्वास मत के दौरान कोई भी रिश्ता नहीं दिया सचिन पायलट को भी अपने विधायकों से दूर निर्दलीय विधायकों के बाद आने जाने वाले रास्ते में कुर्सी लगाकर बैठाया लोग सोच रहे थे कि अशोक गहलोत ने ऐसा क्यों किया हकीकत तो यह है कि अशोक गहलोत अपने विधायकों को सचिन पायलट से दूर रखना चाहते हैं अशोक गहलोत ने प्रियंका गांधी के समझौते पर यकीन नहीं किया जब तक विश्वास मत हासिल नहीं कर लिया तब तक अपने विधायकों को फेयरमाउंट होटल में ही रखा
बसपा से कांग्रेस में आने वाले विधायक राजेंद्र गुड़ा ने यहां तक कह दिया था कि अगर बीजेपी के सभी 72 विधायक सदन में आगए तो मैं अपना नाम बदल दूंगा पता नहीं इसमें सच्चाई कितनी है मगर कहा जाता है कि जब ऐसी बातें आने लगी कि बहुजन समाज पार्टी के विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने का फैसला कांग्रेस के खिलाफ जाता हुआ दिखाई दिया तो सूर्यगढ़ पैलेस में अशोक गहलोत ने उन विधायकों को अपने साथ बुला लिया जिनकी निष्ठा डामाडोल हो रही थी और वसुंधरा राजे से बात कराई कि घबराना मत अगर कम होंगे तो इधर से व्यवस्था हम कर देंगे ऐसी बातें कांग्रेस के हैं बाकी सच्चाई अभी कही नहीं जा सकती
अशोक गहलोत को गुजरात के अहमद पटेल को राज्यसभा में भेजने की जिम्मेदारी मिली थी स्थिति बहुत संकट पूर्ण थी क्योंकि बीजेपी ने कांग्रेस के 14 विधायकों का इस्तीफा करा दिए करा लिया था मगर हार नहीं मानने वाले ऐसे गहलोत ने यहां भी हिम्मत नहीं हारी और अमित शाह के मुंह से अहमद पटेल की जीत खींच लाए पहली बार हाशिए पर चल रहे अशोक गहलोत ने अपनी राजनीति का लोहा एक बार फिर से देश की राजनीति में मनवाया था
गुजरात चुनाव के प्रभारी के तौर पर कांग्रेस जीत जीत के हार गई मगर कांग्रेस को फिनिश लाइन तक पहुंचा कर अशोक गहलोत ने दोबारा अपनी राजनीतिक सूझबूझ का डंका बजाया इस बार तो बीजेपी को ऐसे शिकस्त दी की बीजेपी ठीक से कराह भी नहीं पाई तभी तो राजस्थान की जनता कहती है कि अशोक गहलोत का कांटा पानी नहीं भी मांगता