मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधानसभा सत्र बुलाने के लिए नया पैतरा अपनाया हैं। गहलोत ने शनिवार देर रात 31 जुलाई से विधानसभा सत्र बुलाने का नया प्रस्ताव राज्यपाल को भेजा है। सूत्रों के मुताबिक इसमें कहा गया है कि कोरोना पर विशेष चर्चा करना चाहते हैं और छह बिल पेश करना चाहते हैं। हालांकि इसमें बहुमत साबित करने का कोई जिक्र नहीं है।
सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार को ही रात कैबिनेट से इसका अनुमोदन करा लिया था मगर शनिवार दिनभर कानूनविदों से चर्चा की गई और उसके बाद सरकार ने प्रस्ताव भेजा है। इसमें कहा गया है कि राज्य में 6 बिलों को विधानसभा में पेश करना है। विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह बिजनेस एडवाइजरी कमेटी तय करती है लेकिन फिलहाल हम 6 बिल विधानसभा में पेश करेंगे।
सूत्रों के अनुसार सरकार ने यह भी लिखा है कि सरकार के पास संवैधानिक अधिकार होता है कि वह सत्र बुलाए और अल्प अवधि में पहले भी आपके द्वारा दो बार सत्र आहूत की गई है। इसमें सरकार ने कहीं भी नहीं लिखा है कि वह विधानसभा में अपना बहुमत साबित करना चाहती है। दरअसल राज्यपाल भी सरकार से ही पूछ रहे थे कि आखिर वह विधानसभा सत्र क्यों बुलाना चाहती है और उनका एजेंडा क्या है।
माना जा रहा है कि अशोक गहलोत सत्र बुलाकर बिल के जरिए व्हिप जारी कर सचिन गुट के 19 विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष से अयोग्य साबित करा देंगे और उसके बाद सदन में विधायकों की कुल संख्या कम हो जाएगी तो सरकार खुद ही बहुमत में आ जाएगी।इसके बाद ही गहलोत सरकार सदन में बहुमत साबित करेगी।