14 Aug , 2020
प्रदेश की राजनीति में अभी तक विश्वास और अविश्वास की बातें कांग्रेस को लेकर चल रही थी, भीतरघात की बातें कांग्रेस के लिए चल रही थी, धोखेबाजी, दगाबाजी, पार्टी टूट जैसे शब्द कांग्रेस के लिए इस्तेमाल हो रहे थे, लेकिन जैसे ही सचिन पायलट वापस लौटे । आज विधायक दल की बैठक में सभी एक साथ नजर आए । अब अविश्वास की बातें, भीतरघात की बातें, पाटी टूट की बातें बीजेपी की तरफ से आ रही हैं । माना जा रहा है कि बीजेपी में जिस अविश्वास प्रस्ताव की मांग की गई है । ये मांग कांग्रेस की सरकार के बहुमत को परखने के लिए नहीं किया गया , ना ही कांग्रेस सरकार को गिराने के लिए । माना जा रहा है कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि बीजेपी में अंदर वसुंधरा राजे गुट की विश्वसनीयता को परख लिया जाए । ये जान लिया जाए कि बीजेपी में कोई बिखराव तो नहीं । ऐसा करने के साथ साथ बीजेपी का मकसद ये भी है कि सभी को ये संदेश दिया जाए कि बीजेपी में कोई टूट नहीं है, जो कहा जा रहा था कि वसुंधरा राजे 46 विधायकों के साथ कांग्रेस में शामिल हो सकती हैं । उस खबर में कोई दम नहीं है , हालांकि ये भी सच है कि वर्तमान में वसुंधरा राजे बीजेपी के प्रदेश नेतृत्व से खुश नहीं है , बिल्कुल वैसे ही जैसे सचिन पायलट प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व से खुश नहीं है, और दोनों को ही दिखाना पड़ रहा है कि वो अपनी अपनी पार्टी के साथ हैं, यानि गहलोत सरकार को गिराने की कोशिश करने वाले सचिन पायलट विधानसभा में गहलोत सरकार के पक्ष में वोट करेंगे और बीजेपी से नाराज चलने वाली वसुंधरा राजे विधानसभा में बीजेपी के साथ वोट कर बीजेपी की एकता दिखाएंगी । इनके हाल कुछ ऐसा है कि किसी शायर ने सही कहा है कि ”मेरा पानी उतरता देख कर किनारे पर घर मत बना लेना, मैं समुंद्र हूं फिर लौट कर आऊंगा ”।